जोड़ों का दर्द हो या त्वचा का रोग सबको दूर करेगा : निरगुंडी – आयुर्वेद का चमत्कार
परिचय
निरगुंडी, जिसे संस्कृत में सहिन्दूवर के नाम से भी जाना जाता है, आयुर्वेद में सदियों से इस्तेमाल किया जाने वाला एक प्रमुख औषधीय पौधा है। यह एक सुगंधित झाड़ी या छोटा पेड़ होता है, जो पूरे भारत में पाया जाता है। इसे ‘सर्वरोगनिवारिणी’ के रूप में भी जाना जाता है, जिसका अर्थ है “सभी रोगों को दूर करने वाला”।
आयुर्वेदिक गुण:
- रस ( Rasa): कटु (Katu – तीखा), तिक्त (Tikta – कड़वा), कषाय (Kashaya – कसैला)
- गुण ( Guna): लघु (Laghu – हल्का), रुक्ष (Ruksha – रूखा)
- वीर्य ( Virya): उष्ण ( Ushna – गर्म)
- विपाक ( Vipaka): कटु (Katu – तीखा)
- प्रभाव ( Prabhava): वात-कफ नाशक ( Vata-Kapha Nashka – वात और कफ को कम करने वाला)
निरगुंडी को वात और कफ दोषों को संतुलित करने वाला माना जाता है।
आयुर्वेद में इसका इस्तेमाल विभिन्न प्रकार की बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता है, जिनमें शामिल हैं:
जोड़ों का दर्द और सूजन (Joint pain and inflammation):
निरगुंडी में सूजन-रोधी और दर्द निवारक गुण होते हैं, जो जोड़ों के दर्द और गठिया में राहत दिलाने में मदद करते हैं।
श्वसन संबंधी समस्याएं (Respiratory problems):
निरगुंडी का इस्तेमाल कफ जमा होने के कारण होने वाली खांसी, जुकाम और दमा जैसी श्वसन संबंधी समस्याओं के इलाज में किया जाता है।
त्वचा रोग (Skin diseases):
निरगुंडी के एंटीसेप्टिक और घाव भरने वाले गुण त्वचा रोगों जैसे सोरायसिस और एक्जिमा में लाभदायक होते हैं।
अन्य उपयोग (Other uses):
निरगुंडी का इस्तेमाल बुखार, मूत्र संबंधी विकार, पेट का दर्द और आंतरिक परजीवी संक्रमण जैसी कई अन्य बीमारियों के इलाज में भी किया जाता है।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि निरगुंडी का सेवन हमेशा किसी योग्य आयुर्वेदिक चिकित्सक के मार्गदर्शन में ही करना चाहिए। गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को निरगुंडी का सेवन नहीं करना चाहिए।
निष्कर्ष (Conclusion):
निरगुंडी एक बहुउपयोगी औषधीय पौधा है जिसका उपयोग आयुर्वेद में सदियों से किया जाता रहा है। इसके विभिन्न रोगों को ठीक करने और स्वास्थ्य को बढ़ावा देने वाले गुणों के कारण इसे ‘सर्वरोगनिवारिणी’ माना जाता है। हालांकि, इसका सेवन करने से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह लेना जरूरी है।
निरगुंडी (Vitex negundo) – आयुर्वेद संबंधी अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
प्रश्न 1. निरगुंडी के आयुर्वेदिक फायदे क्या हैं?
उत्तर: निरगुंडी का इस्तेमाल जोड़ों के दर्द, सूजन, श्वसन संबंधी समस्याओं, त्वचा रोगों, बुखार, मूत्र संबंधी विकार, पेट दर्द और आंतरिक परजीवी संक्रमण जैसी विभिन्न बीमारियों के इलाज में किया जाता है।
प्रश्न 2. निरगुंडी का सेवन कैसे किया जाता है?
उत्तर: निरगुंडी का सेवन कई रूपों में किया जा सकता है, जैसे चूर्ण, काढ़ा, तेल या लेप। लेकिन सही मात्रा और सेवन विधि के लिए किसी योग्य आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श लेना जरूरी है।
प्रश्न 3. क्या निरगुंडी के कोई दुष्प्रभाव हैं?
उत्तर: अधिक मात्रा में या गलत तरीके से सेवन करने पर निरगुंडी के कुछ दुष्प्रभाव हो सकते हैं, जैसे दस्त, पेट में जलन और उल्टी। गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को निरगुंडी का सेवन नहीं करना चाहिए।
प्रश्न 4. क्या मैं निरगुंडी का इस्तेमाल बाहरी रूप से कर सकता/सकती हूँ?
उत्तर: जी हां, निरगुंडी के तेल या लेप का इस्तेमाल बाहरी रूप से त्वचा रोगों और जोड़ों के दर्द में किया जा सकता है।
प्रश्न 5. निरगुंडी कहाँ मिलती है?
उत्तर: निरगुंडी आयुर्वेदिक दवाओं की दुकानों और कुछ ऑनलाइन स्टोर पर आसानी से मिल जाती है। हालांकि, इसे हमेशा किसी विश्वसनीय स्रोत से ही खरीदें।
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