गुइलेन-बॅरे सिंड्रोम (Guillain-Barré Syndrome)
गुइलेन-बॅरे सिंड्रोम (Guillain Barré Syndrome) में आयुर्वेद का महत्व | Guillain Barre Syndrome! GBS कि बीमारी कब और कैसे ठीक होगी? कारण, लक्षण और ईलाज।

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गुइलेन-बॅरे सिंड्रोम क्या है?
गुइलेन-बॅरे सिंड्रोम के प्रकार
- एक्यूट इंफ्लेमेटरी डिमाइलिनेटिंग पोलिरैडिक्यूलोन्यूरोपैथी (AIDP):
यह सबसे सामान्य प्रकार है, जिसमें नसों के चारों ओर की मायलिन परत को नुकसान पहुंचता है। - मिलर फिशर सिंड्रोम (MFS):
इसमें पैरालिसिस आंखों की मांसपेशियों से शुरू होता है। - एक्यूट मोटर एक्सोनल न्यूरोपैथी (AMAN):
यह तंत्रिका कोशिकाओं की मोटर शाखा को प्रभावित करता है। - एक्यूट मोटर-सेंसरी एक्सोनल न्यूरोपैथी (AMSAN):
यह मोटर और सेंसरी दोनों नसों को प्रभावित करता है।
गुइलेन-बॅरे सिंड्रोम के चरण
- प्रारंभिक चरण (Progressive Stage):
लक्षण तेजी से बढ़ते हैं। - ठहराव चरण (Plateau Stage):
लक्षण स्थिर हो जाते हैं। - पुनर्प्राप्ति चरण (Recovery Stage):
नसों की मरम्मत शुरू होती है और लक्षण कम होने लगते हैं।
निदान
गुइलेन-बॅरे सिंड्रोम का निदान निम्नलिखित तरीकों से किया जाता है:
- लंबर पंक्चर:
रीढ़ की हड्डी के द्रव का परीक्षण। - नर्व कंडक्शन स्टडी (NCS):
तंत्रिकाओं में विद्युत संचार की जांच। - एमआरआई स्कैन:
तंत्रिका और मांसपेशियों में सूजन की जांच।
गुइलेन-बॅरे सिंड्रोम में आयुर्वेद का महत्व
आयुर्वेद गुइलेन-बॅरे सिंड्रोम को वात और कफ दोष के असंतुलन से जोड़ता है। यह बीमारी शरीर के तंत्रिका तंत्र की प्राकृतिक ऊर्जा को पुनर्स्थापित करने और रोगी की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में मदद कर सकता है।
आयुर्वेदिक उपचार
- पंचकर्म चिकित्सा:
- बस्ति: वात दोष को संतुलित करता है और नसों को पुनर्जीवित करता है।
- स्वेदन: मांसपेशियों में तनाव कम करने और सूजन को कम करने के लिए।
- नस्य: सिर और नर्वस सिस्टम को साफ और शांत करने के लिए।
- हर्बल सप्लीमेंट्स:
- अश्वगंधा: तनाव और कमजोरी कम करने में सहायक।
- गुग्गुलु: सूजन और दर्द को कम करता है।
- सुन्टी (सूखा अदरक): नसों के कामकाज में सुधार करता है।
- शतावरी: इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है।
- आहार और जीवनशैली:
- संतुलित आहार:
- दूध, घी, ताजा फल और सब्जियां।
- वात को शांत करने के लिए गर्म और पौष्टिक भोजन।
- योग और प्राणायाम:
- शरीर को लचीला और मजबूत बनाने के लिए हल्के योगासन।
- तंत्रिका प्रणाली को आराम देने के लिए ब्रह्मरी और अनुलोम-विलोम।
- तनाव प्रबंधन:
- ध्यान और सकारात्मक सोच।
- संतुलित आहार:
- आयुर्वेदिक तेल मालिश (अभ्यंग):
- तिल का तेल या नारायण तेल का उपयोग नसों और मांसपेशियों को आराम देने के लिए किया जा सकता है।
- गुइलेन-बॅरे सिंड्रोम एक गंभीर स्थिति है जिसे सही निदान और उपचार के साथ प्रबंधित किया जा सकता है। आयुर्वेद की प्राचीन पद्धतियां रोग को जड़ से सुधारने में मदद कर सकती हैं और मरीज को ताकत और ऊर्जा प्रदान कर सकती हैं।
आयुर्वेदिक उपचार से होने वाले लाभ
- मांसपेशियों में ताकत बढ़ती है।
- तंत्रिका कोशिकाओं की पुनर्स्थापना होती है।
- इम्यून सिस्टम मजबूत होता है।
- मानसिक तनाव और चिंता कम होती है।
- लंबे समय तक प्रभावी सुधार।
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